कुछ लोगों के मन में ये सवाल भी आता है कि जब नोट छापने का अधिकार भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के पास है तो आखिर क्यों नहीं, वो ढेर सारे नोट छापती है। हर कोई चाहता है कि उसके पास ढेर सारे पैसे हो, ताकि वो अपनी हर ज़रूरत को आसानी से पूरा कर सके। कई बार सपने में आप भी सोचते होंगे कि काश आपको नोटों से भरी बोरी मिल जाती, तो नौकरी का टेंशन छोड़ देते।
आजकल गूगल सर्च और कोरा पर भी लोग ऐसे ही सवाल पूछ रहे हैं: लोग पूछ रहे हैं कि आखिर क्यों नहीं आरबीआई ढेर सारे नोट छापकर लोगों को और देश को अमीर बना देती हैं? मगर आपको ये जानकर हैरानी होगी कि यदि आरबीआई ऐसा करे तो आपके पास ढेरों पैसा होने के बाद भी आप गरीब ही रहेंगे।
जी हां, आरबीआई ही नहीं, कोई भी देश बेहिसाब नोट छापने की गलती नहीं करेगा। पहले कई देश ये बेवकूफी कर चुके हैं और जिसकी सजा भी उन्हें भुगतनी पड़ी। आरबीआई अपनी मर्ज़ी से नोट नहीं छाप सकती। किसी वित्त वर्ष में कितनी मुद्रा प्रिंट करनी है, इसके लिए सर्कुलेशन में कितनी मुद्रा है, यह देखा जाता है। इसके अलावा अर्थव्यवस्था और अन्य कई फैक्टर्स पर विचार किया जाता है। उसके बाद कितनी करेंसी छापी जाए, यह फैसला लिया जाता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, आरबीआई यदि बेतहाशा करंसी छापने लगे तो इससे महंगाई बहुत बढ़ेगी। जब अचानक सब लोगों के पास काफी ज्यादा पैसा आएगा, तो उनकी अपेक्षाएं भी बढ़ जाएंगी। इसके चलते सामान की कीमतें भी बढ़ जाएंगी। मान लीजिए पहले जो सामान 10 रुपए का मिलता था, अब उसकी कीमत सैकड़ों गुना बढ़ जाएगी। इस तरह से करोड़ों रुपए होने के बाद भी इंसान अमीर नहीं होगा।
कुछ देश ऐसे हैं जिन्होंने नोट छापने की गलती कि जिसकी सजा आज तक भुगत रहे हैं। वेनेजुएला के केंद्रीय बैंक ने अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए ढेर सारे नोट छापे, 1 करोड़ और एक खरब का नोट छापा गया, लेकिन इसके बावजूद यहां के लोग भूख से तड़प रहे हैं। सुपरमार्केट में सामान नहीं मिल रहा है। यहां एक लीटर दूध और अंडे खरीदने की खातिर लोगों को लाखों रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। हर साल महंगाई 10 लाख गुना बढ़ रही है।
बेतहाशा नोट छापने की वजह से यहां की करेंसी की वैल्यू डॉलर के मुकाबले गिर गए और देश संकट के दौर से गुजर रहा है। इसी तरह यदि आरबीआई ने भी नोट छापे तो भारत की हालत भी कुछ ऐसी ही हो जाएगी।