हिंदी सिनेमा के इतिहास में 50-60 का दशक बहुत अहमियत रखता है। यह वो दौर था जब अंग्रेज़ों के चुंगल से देश बस आज़ाद ही हुआ था। इसलिए उस वक़्त की फिल्मों में देश की क्रांति की भी झलक दिखती थी। ये दो दशक भारतीय सिनेमा का सुनहरा दौर था, जब न सिर्फ़ कई बेहतरीन फिल्में बनीं, बल्कि कई रिकॉर्ड्स भी बने।
1. संगम (1964)- विदेश में शूट होने वाली पहली फिल्म
राज कपूर, राजेंद्र कुमार और वैजंती माला जैसे बेहतरीन कलाकारों से सजी इस फिल्म के कई सीन यूरोप में शूट हुए थे। उस वक़्त ये बहुत बड़ी बात थी। तभी तो कई लोग सिर्फ़ यूरोप को देखने की चाह में फिल्म देखने गए थे।
2. मदर इंडिया (1957)- ऑस्कर में जाने वाली पहली फिल्म
भारत की तरफ़ से ऑस्कर में जाने वाली ये पहली फिल्म थी। इस फिल्म में नर्गिस दत्त, सुनिल दत्त और राजेंद्र कुमार ने यादगार भूमिकाएं निभाई थी। ये फिल्म सिर्फ़ ऑस्कर के लिए नामांकित ही नहीं हुई थी, बल्कि फाइनल 5 फिल्मों में भी शामिल हुई थी।
3. प्यासा (1957) – टाइम्स की सदाबहार 100 फिल्मों की लिस्ट में जगह बनाने वाली एकमात्र फिल्म
गुरुदत्त, वहीदा रहमान और माला सिन्हा इस फिल्म में लीड रोल में थे। फिल्म एक असफल कवि के जीवन पर आधारित थी। हाल ही में इंडियन फिल्म कंपनी द्वारा वेनिस फिल्म फेस्टिवल में दिखाई जाने वाली प्यासा पहली भारतीय फिल्म बनी।
4. दो आंखें बाहर हाथ (1957)– गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड जीतने वाली पहली भारतीय फिल्म
वी शांताराम की फिल्म दो आंखें बाहर हाथ अपने समय से काफी आगे की फिल्म थी। सैमुअल गोल्डविन श्रेणी में प्रतिष्ठित गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड जीतने वाली ये पहली भारतीय फिल्म थी।
5. हंसते आंसू (1950) – ए सर्टिफिकेट पाने वाली पहली फिल्म
इस फिल्म में मधुबाला और मोतीलाल लीड रोल में थे, ये पहली हिंदी फिल्म थी जो सिर्फ व्यस्कों के लिए थी। सिनेमेटोग्राफी एक्ट (1918) में संशोधन के बाद इस फिल्म को ए सर्टीफिकेट मिला था।
6. कागज़ के फूल (1959) – पहली भारतीय सिनेमास्कोप फिल्म
ये फिल्म एक मास्टपीस थी, जो अपने वक़्त से आगे की थी। यह फिल्म गुरुदत्त की बेहतरीन फिल्मों में से एक थी, लेकिन दुर्भाग्यवश बॉक्स ऑफिस पर फिल्म नहीं चल पाई थी। कहा जाता है कि ये गुरुदत्त की ऑटोबायग्राफी थी जिसमें उन्होंने गीता दत्त और वहीदा रहमान के साथ अपने रिश्तों की सच्चाई बयां की थी।
7. यादें (1964) – पहली एक्सपेरिमेंटल फिल्म
सुनील दत्त की बेहतरीन फिल्मों में से एक थी यादें। हालांकि, ये बॉक्स ऑफिस पर नहीं चल पाई, लेकिन इस फिल्म ने गिनिज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाया। इस फिल्म ने सबसे कम कलाकार होने का रिकॉर्ड बनाया, फिल्म में सिर्फ़ सुनील दत्त ही नज़र आए, सिर्फ आखिरी सीन में नर्गिस दिखती हैं। इसे पहली एक्सपेरिमेंटल हिंदी फिल्म कहा गया।
8. आवारा (1951) – “आवारा हूं” पहला हिंदी गाना था जो विदेशों में लोकप्रिय हुआ
शंकर जय किशन का कंपोज़ किया हुआ सुपरहिट सॉंन्ग आवारा हूं ने न सिर्फ़ देश, बल्कि विदेश में भी खूब धूम मचाई थी। 2013 में बीबीसी एक पोल में इस गाने को दूसरा सबसे लोकप्रिय और मशहूर बॉलीवुड सॉन्ग बताया गया।
9. मुगल-ए-आज़म (1960) –तीन भाषाओं में बनने वाली पहली फिल्म
बॉलीवुड की ये सुपरहिट फिल्म हिंदी, इंग्लिश और तमिल में एक साथ बन रही थी। हालांकि तमिल में ये फिल्म नहीं चल पाई और इंग्लिश में फिल्म रिलीज़ ही नहीं हो पाई।
10. श्री 420 (1955) – सोवियत बॉक्स ऑफिस पर सबसे सफल विदेशी फिल्म
राजकपूर, नर्गिस और नादिरा के लीड रोल वाली ये फिल्म पहली विदेशी फिल्म थी, जिसने सोवियत बॉक्स ऑफिस पर 35 मिलियन लोगों की भीड़ जुटाई थी।