महिलाओं के अंतःवस्त्र ब्रा का इतिहास (History of Bra) बेहद दिलचस्प है। भारत सहित कई देशों में आज भी ‘ब्रा’ शब्द ने महिलाओं को सामाजिक बंधनों में जकड़ कर रखा हुआ है। फिल्मों में अक्सर किसी बोल्ड सीन को दर्शाते वक्त अभिनेत्रियों को ब्रा में दिखाया जाता है।
शायद यही वजह है समाज में ब्रा को एक भड़काऊ और सेक्शुअल चीज के रूप में देखा जाने लगा है, जिसके चलते कई बार महिलाएं ब्रा पहने असहज नज़र आती हैं। अमूमन 14 साल की उम्र तक लड़कियों के स्तन विकसित होने लगते है, जिसके बाद उन्हें ब्रा पहनने की सलाह दी जाती है।
हालांकि, समाज में ब्रा शब्द को एक सेक्शुअल ऑबजेक्ट के रूप में पेश किए जाने के कारण किशोरावस्था में कदम रखते ही कई लड़कियां इस बात को लेकर उलझन में रहती हैं कि उन्हें ब्रा पहनने की शुरुआत कब और कैसे करनी चाहिए।
बीते दिनों ब्रा को लेकर एक ऐसा मामला सामने आया था जो चर्चा का विषय बन गया था। दिल्ली के एक नामी स्कूल में नौवीं से बारहवीं क्लास की छात्राओं को स्किन कलर की ब्रा के साथ साथ समीज पहनने का आदेश जारी किया गया, साथ ही उन्हें इस बात की भी हिदायत दी गई कि वह ये सुनिश्चित करें कि उनकी ब्रा नजर न आए।
इस तरह के मामलों को जानने के बाद शायद आपके मन में भी ब्रा का इतिहास (History of Bra) जानने के बारे में सवाल उठ रहे होंगे।
ब्रा पहनने की शुरुआत को लेकर कोई तय जवाब दे पाना तो मुश्किल है, लेकिन हाल ही में छपे एक लेख में इस बात का जिक्र किया गया है कि ब्रा का आविष्कार 1869 में फ्रांस में हुआ था, जहां हर्मिनी कैडोल नाम की एक महिला ने जैकेटनुमा पोशाक को दो टुकड़ों में काटकर अंडरगार्मेंट्स बना लिए थे। इसके बाद इसके ऊपरी हिस्से को ब्रा की तरह पहना और बेचा जाने लगा था।
आधुनिक ब्रा की शुरुआत भी फ्रांस से ही हुई थी। बताया जा रहा है कि इस वक्त लंदन के विज्ञान संग्राहलय में जो पुशअप ब्रा रखी हुई है, वह 19वीं सदी में बनाई गई थी।
एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के साथ साथ अन्य देशों में ब्रा पहनने की शुरुआत 1907 में तब हुई जब एक फैशन पत्रिका ‘वोग’ में सबसे पहले ब्रा पहने हुए एक युवती को दिखाया गया था। इसके बाद 60 के दशक में महिलाओं ने ब्रा के खिलाफ आंदोलन छेड़ते हुए कहा कि ब्रा महिलाओं को एक सेक्स ऑब्जेक्ट के तौर पर पेश करती है। इस दौरान ब्रा पहनने के खतरों को लेकर कई संगठन महिलाओं को आगाह भी कर रहे थे।
इस बात को समझना बेहद जरूरी है कि इसे अंतःवस्त्र के तौर पर ही लिया जाना चाहिए और किसी सेक्स ऑबजेक्ट के तौर पर देखना सही नहीं है।