बीते बचपन की यादें

MEMORIES OF CHILDHOOD 

“काश कोई लौटा दे बचपन के वो बेखौफ दिन,
जहां नींद कही लग जाये, खुलती बिस्तर पर ही थी।”

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“काश! फिर से पहुच जाऊं बचपन की सुनहरी वादी में…

ना कोई जरूरत थी!
ना कोई जरूरी था!!”

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“ना किसी लड़की की चाहत, ना ही पढ़ाई का जज़्बा था….

बस चार कमीने दोस्त थे, और लास्ट बैंच पर कब्जा था !!”

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“कागज की कश्ती थी पानी का किनारा था,
खेलने की मस्ती थी और ये दिल आवारा था,
कहा हम आ गए इस समझदारी की दलदल में
नादान वो बचपन भी कितना प्यारा था!!”

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“इस लिए तो बच्चों 👶पर नूर बरसता हैं
शरारते करते हैं, साजिशें तो नही करते।”

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“फिक्र से आज़ाद थे, खुशियां इक्कठी होती थी;
वो भी क्या दिन थे जब अपनी भी गर्मी की छुटियां होती थीं.”

“अब तो बचपन वाले खिलौनों भी पूछते हैं कैसा लगता हैं जब कोई तुम्हारे ‘दिल’ से खेलता हैं!”

“बचपन में ही ठाना थी पहुँचूंगा एक ही मकसद पर
नन्हा-मुन्हा वो देश का सिपाही, आ खड़ा है सरहद पर.”

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“सभी अपने समझते थे, ना कोई पराया था।
बेखौफ भरी जीवन थी क्योंकि माथे पर हरदम ‘माँ’ 👩‍👦 की आँचल की साया था।”

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“पुराना बक्से खोला..
खिलौनों के साथ-साथ बचपन भी मिल गया।”

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“बचपन में जहां चाहा हंस लेते थे जहां चाहा रो लेते थे। पर अब मुस्कान को तमीज चाहिए और आंसुओ को तन्हाई।”

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“सुकून की बात मत कर गालिब.
बचपन वाला ‘इतवार’ (रविवार) अब नहीं आता।”

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बीते बचपन की यादें status photos : 

“उड़ने दो परिंदो को अभी शोख हवा में
फिर लौट के बचपन के जमाने नही आते।”

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“हम भी मुस्कराते थे कभी बेपरवाह अन्दाज़ से,
देखा है आज खुद को कुछ पुरानी  तस्वीरों में !” 

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“कितनी आसान थी बचपन के वो दिन, जहां
सिर्फ दो अंगुलियां जुड़ाने से दोस्ती👩‍❤️‍👨 हो जाया करती थी.”

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“कहते हैं हंसते-हंसते बीत जाय ये जिंदगी
पर खेलना बचपन में छूट गया और हंसना जिम्मेवारियों ने भुलवा दिया।”

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“किसने कहा नही होती वो बचपन वाली बारिश, तुम भूल गए हो शायद अब नाव बनानी कागज की।”

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यहां पढ़ें: डॉ० APJ अब्दुल कलाम का जीवन पर ‘महत्वपूर्ण कथन’

“बचपन में घड़ी नहीं थी पर वक्त पहुंच था, अब घड़ी तो है पर वक्त कहीं खो सा गया है।”

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“मोह-माया की दलदल में, जाने हम ये कहाँ आये,
अपनी मंजिले रास्तो में ही कहीं गुम कर आये,
वाकिफ थे जिस मिट्टी की खुशबू से;
छोड़ के वो खुशियां जाने हम ये कहां आये।”

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“कोई तो फिर रुबरु करवाये बेखौफ बीते हुए बचपन से
मेरा फिर बेवजह मुस्कुराने का मन हैं..!!”😟

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“बचपन में ही ठानी थी पहुँचूंगा एक ही मकसद पर
नन्हा-मुन्हा वो देश का सिपाही आ खड़ा है सरहद पर.”

Artical Source ::bachpan ki yaaden shayari:: ©firkey.in 

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