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अपने मज़ाकिया लहजे, अजीब अदाएं और गज़ब की आवाज़ से लाखों-करोड़ों दर्शकों का दिल जीतने वाले किशोर कुमार को सिर्फ गायक कहना सही नहीं होगा। किशोर कुमार भले ही गायकी की वजह से लोकप्रिय हुए, लेकिन, वह मल्टीटैलेंटेड थे। सिंगिंग, एक्टिंग के साथ ही उन्होंने फिल्म प्रोडक्शन में भी अपना हुनर दिखाया। आज उनके जन्मदिन के मौके पर आपको बताते हैं किशोर दा की ज़िंदगी से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।

पैसा कमाना चाहते थे किशोर
किशोर कुमार का जन्म मध्य प्रदेश के खंडवा में 4 अगस्त, 1929 को हुआ था। किशोर कुमार जब छोटे थे तभी उनके सबसे बड़े भाई अशोक कुमार एक फेमस एक्टर बन चुके थे। इसलिए किशोर कुमार का बस यही सपना था कि वो अपने भाई अशोक कुमार से ज्यादा पैसे कमाएं। इतना ही नहीं वो अपने फेवरेट सिंगर के एल सहगल की तरह गाने भी गाना चाहते थे।
किशोर कुमार को सबसे पहले बॉम्बे टॉकीज के लिए कोरस गाने का मौका मिला। वर्ष 1948 में फिल्म ‘ज़िद्दी’ के लिए किशोर कुमार ने अपना पहला गाना गाया- ‘मरने की दुआएं क्यों मांगूं…’ और यहीं से उनकी कामयाबी का सफ़र शुरू हो गया।
जब किशोर कुमार पर लगा प्रतिबंध
किशोर कुमार का मिज़ाज़ काफी मज़ाकिया और मनमौजी था, जिसकी वजह से उन्हें कई बार परेशानी का भी सामना करना पड़ा था। कहा जाता है कि इमरजेंसी के दौरान संजय गांधी चाहते थे कि किशोर कुमार कांग्रेस की रैली में गाएं, लेकिन, किशोर कुमार ने इसके लिए मना कर दिया। इसके बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने उन पर अनौपचारिक प्रतिबंध लगा दिया। आकाशवाणी और दूरदर्शन पर उनके गाने बजने बंद हो गए और इमरजेंसी खत्म होने तक उन पर यह प्रतिबंध जारी रहा।

एक दो नहीं, चार शादियां की थी
किशोर कुमार की प्रोफेशनल लाइफ तो बहुत अच्छी रही, लेकिन व्यक्तिगत जिन्दगी उतनी ही मुश्किल भरी रही। किशोर कुमार ने चार शादियां की फिर भी वह अकेले ही रहे। पहली शादी मशहूर अभिनेत्री और गायिका रूमा गुहा ठाकुरता से की, जिनसे इन्हें एक बेटा अमित कुमार हुआ। आठ साल बाद यह रिश्ता टूट गया। फिर उन्होंने 1960 में बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा मधुबाला से कोर्ट में शादी की। इस शादी के लिए किशोर कुमार ने अपना नाम बदलकर करीम अब्दुल्ला रखा था।
मधुबाला की मौत के बाद किशोर कुमार ने 1976 में बॉलीवुड एक्ट्रेस योगिता बाली से शादी की। यह शादी सिर्फ़ दो साल तक ही चली। किशोर कुमार ने अपनी चौथी शादी बॉलीवुड एक्ट्रेस लीना चंद्रावरकर से 1980 में की।
मुंबई ने भले ही किशोर कुमार को दौलत, शोहरत सब कुछ दिया, लेकिन उन्हें यह शहर कभी रास नहीं आया। उन्हें अपने शहर खंडवा से बहुत लगाव था और वो कहते भी थे कि भला इन मूर्खों की नगरी यानी मुंबई में कौन रहना चाहता है। मरने के बाद उनका अंतिम संस्कार खंडवा में ही हुआ।